किसी अन्य व्यक्ति को ऊर्जा देने के लिए निम्नलिखित बिदु अत्यंत महत्वपूर्ण है –
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जब इश्वर की चेतना अर्थात शक्ति कण कण में विद्यमान है तो क्या कारण है कि हम उस ऊर्जा को ग्रहण नहीं कर पाते है. इसका मुख्य कारण है…
इश्वर की अनंत ऊर्जा इस ब्रह्माण्ड में विशाल मात्रा में उपस्थित है. इस ऊर्जा को हम दो परिस्थितियों में ग्रहण करते है – ज्ञात अवस्था और अज्ञात अवस्था . अज्ञात…
आध्यात्मिक उर्जा का क्षय दो व्यक्तियों के मध्य सकारात्मक ऊर्जा का आदान प्रदान हो यह आवश्यक नहीं. इसका अर्थ यह है कि नकारात्मक ऊर्जा किसी दुसरे व्यक्ति से सात्विक…
ऊर्जा के आवागमन के सिद्धांत को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर सहजता से समझा जा सकता है – * दो रूपों में होता है – सकारात्मक और नकारात्मक * दो…
इस संसार में उपस्थित प्रकृति के सभी व्यक्त और अव्यक्त रूपों में एक ही चेतना विद्यमान है . इस चेतना का प्रतिशत सब रूपों में अलग अलग होता है .…
वैराग्य अर्थात् न ‘वैर’ हो न ‘राग’ हो। विषयों के साथ रहते हुए भी मन का उनसे लिप्त ना होना ही वैराग्य है.