साल 2024 में दीपावली 1 नवंबर शुक्रवार के दिन है 5 दिन चलने वाला यहां पर 29 अक्टूबर से शुरू होगा और 3 नवंबर तक चलेगा . दीपावली का पर्व धनतेरस से शुरू होता है और भैया दूज पर समाप्त होता है।
दिवाली का पहला दिन – धनतेरस – 29 अक्टूबर2024
दिवाली का दूसरा दिन – छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी – 31 अक्टूबर 2024
दिवाली का तीसरा दिन – लक्ष्मी पूजा – 1 नवंबर 2024
दिवाली का चौथा दिन – गोवर्धन पूजा – 2 नवंबर 2024
दिवाली का पांचवा दिन – भाई दूज – 3 नवंबर 2024
लक्ष्मी पूजा तिथि – 1 नवंबर 2024
प्रदोष काल – 1 नवंबर 2024 को सूर्यास्त 17 घंटे 35 मिनट से लेकर 20 घंटा 24 मिनट तक प्रदोष काल है जिनकी समय अवधि 2 घंटा 39 मिनट है. इस बार प्रदोष काल में पूजन आरंभ इसलिए नहीं किया जा सकेगा क्योंकि संपूर्ण प्रदोष काल में रोग की चौघड़िया रहेगी इसलिए गौड़ प्रदोष काल में श्री गणेश लक्ष्मी जी का पूजन आरंभ करना चाहिए . यह समय 16:14 से 17 घंटे 35 मिनट तक रहेगा।
इस काल में दीपदान श्री महालक्ष्मी पूजन कुबेर पूजन वही खाता पूजन धर्म एवं गृह स्थलों पर दीप प्रज्वलित करना ब्राह्मणों तथा अपने आश्रितों को भेंट मिष्ठान आदि बांटना शुभ होगा
निशीथ काल – 1 नवंबर 2024 को रात्रि 20 घंटा 14 मिनट से 22 घंटा 52 मिनट तक रहेगा
जो लोग प्रदोष काल से पूर्व पूजन ना प्रारंभ कर सके उन्हें रात्रि लगभग 20 घंटा 53 मिनट से पूजन प्रारंभ करना चाहिए .
इस अवधि में श्री सूक्त , लक्ष्मी सूक्त , पुरुष सूक्त , कनकधारा स्रोत तथा अन्य सिद्धि दायक स्रोतों का पाठ करना चाहिए
महानिशीथ काल – रात्रि 22 घंटा 52 मिनट से अर्धरात्रि 25 घंटा 30 मिनट तक महानिशीथ इस समय अवधि में 22 घंटा 32 मिनट से 24 घंटा 11 मिनट तक का समय अनुकूल नहीं है। अनुकूल समय 24 घंटा 11 मिनट से 25 घंटा 50 मिनट तक शुभ की चौघड़िया में है .
इसमें काली उपासना विशेष काम्य प्रयोग तंत्र अनुष्ठान साधनाएं एवं यज्ञ किया जा सकते हैं
दीपावली प़र पूजा करने की विधि
पूजन हेतु श्री लक्ष्मी और श्री गणेश की मूर्ति, शिवलिंग , श्री यन्त्र
पूजन सामग्री – कलावा , १ नारियल , १ नारियल गरी, कच्चे चावल , लाल कपडा , फूल , १५ सुपारी , लौंग , १३ पान के पत्ते , घी , ५- ७ आम के पत्ते , कलश, चौकी , समिधा , हवन कुण्ड, हवन सामग्री , कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही , घी , शहद , गंगाजल ), फल , मेवे , मिठाई , मुरमुरे , बताशा, पूजा में बैठने हेतु आसन, आटा, हल्दी , अगरबत्ती , कुमकुम , सिन्दूर , इत्र, १ बड़ा दीपक , रूई , कपूर
१. पूजा करने के लिए उत्तर अथवा पूर्व दिशा में मुख होना चाहिए. पूजा की जगह को अच्छे से साफ़ करे . द्वार प़र रंगोली बनाये .
दिवाली पूजन आरंभ करें पवित्री मंत्र सेः “ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाएं।
सबसे पहले चतुर्मुखी दीपक जलाएं . यह दीपक सम्पूर्ण दीवाली की रात्रि जलना चाहिए . धूपबत्ती, अगरबत्ती जलाये .
२. पूजन करने की जगह प़र आटे और रोली से अष्टदल कमल और स्वस्तिक बनाये. उसके ऊपर चौकी रखकर लाल कपडा बिछाएं. कलश में जल भर कर उसमे गंगाजल, थोड़े से चावल और सिक्का डाले . चौकी के दायीं तरफ चावल के ऊपर इस कलश की स्थापना करें. आम के ५ अथवा ७ पत्ते रखें . नारियल प़र तीन चक्र कलावा बांधकर, नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित करें.
कलश और दीपक प़र अक्षत, हल्दी , कुमकुम और फूल चढ़ाएं .
३- श्री गणेश , देवी लक्ष्मी, शिवलिंग और श्री यन्त्र की चौकी प़र पूरे मनोयोग से स्थापना करे.
बिना संकल्प के पूजन पूर्ण नहीं होता इसलिए हाथ में पुष्प, अक्षत , फल और दक्षिणा रख कर अपने ह्रदय की इच्छा को ईश्वर के समक्ष रखे और कलश के सामने छोड़े।
४ – सर्वप्रथम अपने गुरु का ध्यान करे. तत्पश्चात पूजन आरम्भ करें . एक दूसरे को तिलक लगा कर कलावा बांधे. स्त्रियाँ अपने बाये हाथ एवं पुरुष अपने दायें हाथ प़र बांधें .
५ – गणेश जी का ध्यान और आह्वाहन करे. मंत्र बोलें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। इसके उपरांत उन्हें दूर्व , विल्बपत्र , चावल ,पान , सुपारी , लौंग , फूल कलावा रुपी वस्त्र , धूप फल और भोग समर्पित करे . नवग्रह ( सूर्य , चन्द्र , मंगल , बुध , गुरु , शुक्र , शनि , राहू, केतु ), कुबेर देवता , स्थान देवता और वास्तु देवता का क्रम से आह्वाहन कर सभी का पूजन व सम्मान पान, चावल, सुपारी, लौंग, कलावा, फूल , फल धूप और भोग समर्पित कर करे .
६ – अब मन को पूरी तरह एकाग्र कर के भगवान विष्णु एवं शिव जी पूजा करने का विधान है।भगवान् शंकर का पूजन इस मंत्र के साथ करें
“ ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि -वर्धनम
उर्वारुकमिव बन्धनात मृत्योर मुक्षीय मामृतात “
तत्पश्चात भगवती देवी लक्ष्मी का आह्वाहन और पंचामृत से स्नान कराने उपरोक्त बताई हुई विधि के अनुसार पूजन और स्थापना करे .
७ – “ ॐ महा लक्ष्मये नमः ” मंत्र का जाप अथवा श्री सूक्त का जाप करे
८ – अंत में हवन करे . हवन सामग्री में घी मिला ले . हवन कुण्ड की पूजा करे और क्रमवार सभी देवताओ के नाम का हवन करे जिन्हें अपने आमंत्रित किया है . लक्ष्मी जी के मंत्र से हवन करते समय कमलगट्टे के बीज हवन सामग्री में मिला ले और १०८ बार मंत्र का उच्चारण करते हुए हवन करे .
९ – पूर्णाहुति के लिए नारियल गरी को काट कर उसमे बची हुई हवन सामग्री पूरी भर ले और परिवार के सभी सदस्य अपना हाथ लगाकर अंतिम आहुति दे .
१०- लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करे .अंत में आरती में कपूर भी डाले।
श्री गणेश आरती
जय गणेश जय गणेश , जय गणेश देवा
माता जाकी पारवती , पिता महादेवा .
एक दन्त दयावंत , चार भुजा धारी
माथे सिंदूर सोहे , मुसे की सवारी , जय
गणेश …
अंधन को आंख देत , कोढ़िन को काया
बंझंन को पुत्र देत , निर्धन को माया , जय
गणेश …
पान चढ़े , फूल चढ़े , और चढ़े मेवा
लड्डू का भोग लगे , संत करे सेवा , जय
गणेश ….
जय गणेश , जय गणेश , जय गणेश देवा ,
माता जाकी पारवती , पिता महादेवा
महालक्ष्मी आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता , मैया जय लक्ष्मी माता ,
तुमको निस दिन सेवत , हरी , विष्णु धाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा रमा ब्रह्मानी , तुम हो जग माता ,
मैया , तुम हो जग माता ,
सूर्य चंद्रमा ध्यावत , नारद ऋषि गाता .
ॐ जय लक्ष्मी माता .
दुर्गा रूप निरंजनी , सुख सम्पति दाता,
मैया सुख सम्पति दाता
जो कोई तुमको ध्याता , रिद्धी सिद्धी धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता .
जिस घर में तुम रहती , सब सदगुण आता ,
मैया सब सुख है आता ,
ताप पाप मिट जाता , मन नहीं घबराता .
ॐ जय लक्ष्मी माता
धुप दीप फल मेवा , माँ स्वीकार करो ,
ज्ञान प्रकाश करो माँ , मोह अज्ञान हरो .
ॐ जय लक्ष्मी माता .
महा लक्ष्मी जी की आरती , निस दिन जो गावे
मैया निस दिन जो गावे ,
दुःख जावे , सुख आवे , अति आनंद पावे .
ॐ जय लक्ष्मी माता .
११ – क्षमा प्रार्थना करें – आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव! श्रद्धा और भक्ति के साथ नमन करते हुए प्रार्थना करे के माता रानी आपके घर में प्रसन्नता के साथ सदा निवास करे .
१२ – दीपावली के अगले दिन ही पूजा का सामान हटाये . नारियल को तोड़ कर आपस में तथा अन्य लोगो में बाँट कर प्रसाद के रूप में ग्रहण करे। चावल इत्यादि जो भी चिड़ियों को खिलाया जा सकता है , वह चिड़ियों को दे दे। हवन की राख / भस्म को पौधों पर भी डाला जा सकता है . अन्य बचे हुए सामान को बहते पानी में विसर्जित करें .
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
" महामाई सर्वदा कल्याण करे"
राजगुरु राजकुमार शर्मा