गुप्त नवरात्रि 12 फरवरी 2021 (शुक्रवार) से शुरू हो रहे हैं। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा को गुप्त रखा जाता है, इससे पूजा का फल दोगुना मिलता है और गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली पूजा से कई कष्टों से मुक्ति मिलती है। मन्त्रों की सिद्धि के साथ गुप्त नवरात्रि के दौरान विवाह, नौकरी आदि संबंधित कई उपाय भी किये जाते हैं।
इस बार षष्ठी तिथि की वृद्धि होने से नवरात्रि 10 दिन की रहेगी. नवरात्रि की समाप्ति 21 फरवरी 2021 दिन रविवार को है।कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 59 मिनट तक।
गुप्त नवरात्रि में प्रयोग में आने वाली सामग्री-
मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, जटा और पानी वाला नारियल, चावल, श्रृंगार सामग्री, सुनहरे गोटे वाली चुनरी ,आम के पत्तों का बंदनवार , लाल पुष्प, खील बताशे, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य,आसन, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, पूजन के लिए थाली, ऋतुफल, गंगाजल आदि।
घट स्थापना विधि –
- घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए।
- कलश स्थापना के समय (प्रथम दिन व्रत रखें) . न्यूनतम व्रत की संख्या नवरात्रों में दो होती है. यदि आप अष्टमी पूजन करना चाहते है तो सप्तमी को व्रत रखें और कुमारिका पूजन के उपरान्त अपना व्रत खोलें।
- स्नान के उपरान्त नवरात्रि की पूजा आरम्भ करे।
- पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
- पूजा स्थल के सामने थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए, जहां बैठकर ध्यान व पाठ आदि किया जा सके।
- मंदिर साफ़ करने के उपरान्त मंदिर में रखी हुई मूर्तियों /फोटो को भी साफ़ करें।
- मंदिर में लाल कपड़ा बिछाये और मूर्तियों अथवा फोटो को यथास्थान रखे। यदि स्थापना आप चौकी पर करे तो उस पर भी लाल कपड़ा बिछाएं।
- दीपक और धूपबत्ती जलाएं।
- सर्वप्रथम गुरु और गणेश जी का ध्यान करे।
- कलश पर कलावा को तीन बार लपेट कर तीन गांठें लगाएं.
- कलश पर हल्दी और रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनायें.
- कलश को जल से भरे और उसमे एक बूँद गंगाजल डाले।
- कलश में आम अथवा अशोक के पत्ते रखे।
- एक मुट्ठी चावल रख कर कलश की स्थापना करें।
- नारियल को भी कलावा से तीन बार लपेट कर तीन गांठें लगाएं।
- नारियल को माँ का स्वरुप समझ कर पूर्ण भक्तिभाव से चुनरी उढ़ायें और संकल्प (भक्ति, स्वास्थ्य , सुख शान्ति ) )का ले कर नारियल को कलश पर स्थापित करें।
- मां को अब तिलक फल फूल श्रृंगार सामग्री समर्पित करें।
- तत्पश्चात गुरु के द्वारा दिए हुए मंत्र अथवा दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- पूजा समाप्त होने के उपरान्त माँ की आरती घी अथवा कपूर से करें।
- पूरी नवरात्रि तिलक इत्र फल फूल माँ को समर्पित करे और जाप उपरान्त आरती करें।
- आरती के पश्चात दंडवत प्रणाम करें।
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत अथवा दुर्गा चालीसा का पाठ सुबह और शाम एक एक बार करें पुरे नवरात्रों में करे । व्रत करना अथवा नहीं करना व्यक्ति के अपने चयन पर निर्भर करता है किन्तु व्रत करना आवश्यक ही हो ऐसा नहीं है । इन नवरात्रों के समय बैंगन , लाल दाल , प्याज लहसुन , मांस और मदिरा का त्याग कर ब्रह्मचर्य युक्त जीवन जियें।
इन नवरात्रों में हवन करना आवश्यक नहीं है। किन्तु अष्टमी अथवा अंतिम तिथि नवमी को कन्या पूजन कर के भोजन और दक्षिणा अवश्य दें।
ये हैं नवरात्रि की तिथियां और विशिष्ट संयोग –
12 फरवरी- प्रतिपदा- गुप्त नवरात्रि प्रारंभ, घट स्थापना, मां शैलपुत्री पूजन
13 फरवरी- द्वितीया- चंद्रदर्शन, मां ब्रह्मचारिणी पूजन
14 फरवरी- गौरी तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा, सर्वार्थसिद्धि सायं 4.23 से दूसरे दिन सूर्योदय तक, रवियोग सायं 4.23 से
15 फरवरी- मां कुष्मांडा पूजन, वरदतिलकुंद चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, रवियोग सूर्योदय से सायं 6.28 तक
16 फरवरी- मां स्कंदमाता पूजन वसंत पंचमी, सरस्वती पूजन, खटवांग जयंती, पंचक प्रारंभ रात्रि 8.55 से
17 फरवरी- —– महापात दोष —– षष्ठी तिथि वृद्धि
18 फरवरी- षष्ठी, मां कात्यायनी पूजन, वसंत ऋतु प्रारंभ
19 फरवरी- मां कालरात्रि पूजन, रथ आरोग्य सप्तमी, नर्मदा जयंती
20 फरवरी- मां महागौरी पूजन, दुर्गा अष्टमी
21 फरवरी- नवमी, मां सिद्धिदात्री पूजन, गुप्त नवरात्रि पूर्ण