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Posts published in September 2014

Why to do pooja EVERYDAY

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Many people have this Question, that why performing pooja everyday is important ? When everyone says that ” GOD IS WITHIN US ” then just believing in him isn’t sufficient…

वैराग्य

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वैराग्य अर्थात्‌ न ‘वैर’ हो न ‘राग’ हो। विषयों के साथ रहते हुए भी मन का उनसे लिप्त ना होना ही वैराग्य है.

दान

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​​दान का शाब्दिक अर्थ है – देना ​ ​ दान के पीछे यह सिद्धांत काम करता है कि जो हम देते है वही हम पाते है ।  सम्पूर्ण प्रकृति इसी सिद्धांत पर काम करती है. वृक्षों का फल और नदियों का जल स्वयं के लिए नहीं होता।   देवता भी वही…

इष्ट देव की पूजा की आवश्यकता क्यों

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इश्वर निर्गुण , अनंत और सर्वव्यापी है , स्थान और समय से परे है किन्तु हमारा मन इन्द्रियों द्वारा सीमित होने के कारण इश्वर की सर्वव्यापकता और अनंतता को स्वीकार…

The Hallowed Baglamukhi Kavach

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We are sometimes constrained by obstacles in our quest for divine inspiration, mundane success and successful duties to profession, family and country. Unfortunately there exist many parties and forces interested…